भारत के प्रमुख वन्य जीव अभयारण्य एवं राष्ट्रीय उद्यान
- भारत का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान जिम कार्बेट नैनीताल (उत्तराखंड) है इसका पुराना नाम हेली नेशनल पार्क था जिसकी स्थापना 1935 की गयी थी ।
- देश में सर्वाधिक राष्ट्रीय उद्यान मध्यप्रदेश में है ।
- भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान जम्मू कश्मीर के लेह जनपद में है इसका नाम हिमिस है ।
- जिम कार्बेट पार्क से रामगंगा नदी बहती है ।
- भारत का सबसे बड़ा बाघ अभ्यारण्यनागार्जुन सागर (आंध्र प्रदेश ) है ।
- भारतीय पक्षी विज्ञानी और प्रकृतिवादी सलीम अली को बैडमैन आँफ इंडिया कहा जाता है सलीम अली राष्ट्रीय पक्षी उद्यान जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में है ।
- डाचीगाम सैंक्चुरी एकमात्र सैंक्चुरी है जहां कश्मीरी महामृग पाया जाता है
- भारत प्राणी-विज्ञान सर्वेक्षण की स्थापना 1916 ई., की गई थी और इसका मुख्यालय कोलकाता में है ।
- भारत वानस्पतिक सर्वेक्षण विभाग की स्थापना 1970 ई की गई थी और इसका कोलकाता में कहाँ है ।
- अंडमान-निकोबार द्वीप समूह राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में सबसे ज्यादा वन्य जीव अभ्यारण्य हैं ।
- मध्य प्रदेश में स्थित बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान बंगाल टाइगर के लिए प्रसिद्ध है।
- उत्तराखण्ड के नंदा देवी के शिखर पर स्थित नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान पार्क 1982 में राष्ट्रीय उद्यान बना। इस क्षेत्र के अंतर्गत फूलों की घाटी है, जहाँ किस्म-किस्म के फूलों की छटा बिखरी हुई है।
- दुधवा राष्ट्रीय उद्यान(उत्तर प्रदेश) नेपाल से अंतर्राष्ट्रीय सीमा बनाता है। इसे 1977 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया।
- यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल मानस अभयारण्य (असम ) राष्ट्रीय उद्यान देश का चर्चित टाइगर और एलीएंट रिजर्व भी है। इसका नाम मानस उद्यान के पश्चिम से बहने वाली मानस नदी के नाम से पड़ा है । एक सींग का गैंडा अतिरिक्त यहाँ कई अन्य दुर्लभ जीव-जंतु भी पाए जाते हैं।
भारत के प्रमुख वन्य जीव अभयारण्य एवं राष्ट्रीय उद्यान की सूची
क्र.सं. | राष्ट्रीय उद्यान/अभ्यारण्य | राज्य | प्रमुख वन्यजीव प्राणी |
1 | पलामू अभ्यारण्य | झारखंड | हाथी, हिरण, तेंदुआ, सांभर, जंगली सूअर |
2 | दाल्मा वन्य जीव अभ्यारण्य | झारखंड | हाथी, हिरण, तेंदुआ, भालू, जंगली सूअर |
3 | हजारीबाग वन्य जीव अभ्यारण्य | झारखंड | चीता, भालू, तेंदुआ, चीतल, सांभर, जंगली सूअर |
4 | कैमूर वन्य जीव अभ्यारण्य | बिहार | बाघ, नीलगाय, घड़ियाल, सांभर, जंगली सूअर |
5 | गिर राष्ट्रीय उद्यान | गुजरात | शेर, सांभर, तेंदुआ, जंगली सूअर |
6 | नल सरोवर अभ्यारण्य | गुजरात | जल-पक्षी |
7 | जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान | उत्तराखंड | हाथी, बाघ, चीता, हिरण, भालू, नीलगाय, सांभर, जंगली सूअर |
8 | दुधवा राष्ट्रीय उद्यान | उत्तर प्रदेश | हाथी, बाघ, चीता, हिरण, नीलगाय, तेंदुआ |
9 | चन्द्रप्रभा अभ्यारण्य | उत्तर प्रदेश | चीता, भालू, नीलगाय, तेंदुआ, सांभर |
10 | बन्दीपुर राष्ट्रीय उद्यान | कर्नाटक | हाथी, चीता, तेंदुआ, हिरण, चीतल, सांभर, |
11 | भद्रा अभ्यारण्य | कर्नाटक | भालू, हाथी, सांभर, तेंदुआ, हिरण |
12 | सोमेश्वर अभ्यारण्य | कर्नाटक | चीता, जंगली कुत्ता, हिरण, तेंदुआ, सांभर |
13 | तुंगभद्रा अभ्यारण्य | कर्नाटक | तेंदुआ, चीतल, काला हिरण, चौसिंगा और पक्षी |
14 | पाखाल वन्य जीव अभ्यारण्य | आंध्र प्रदेश | चीता, तेंदुआ, सांभर, भालू, जंगली सूअर |
15 | कावला वन्य जीव अभ्यारण्य | आंध्र प्रदेश | चीता, तेंदुआ, सांभर, भालू, जंगली सूअर, चीतल |
16 | मानस राष्ट्रीय उद्यान | असम | हाथी, चीता, भालू, एक सींग वाला गेंडा, लंगूर, हिरण |
17 | काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान | असम | एक सींग वाला गेंडा, हुन्गली सूअर, भैंसा,चीता |
18 | घाना पक्षी विहार | राजस्थान | सांभर, काला हिरण, जंगली सूअर, मुर्गा, घड़ियाल, साइबेरियन क्रेन. |
19 | रणथम्भौर अभ्यारण्य | राजस्थान | चीता, बाघ, शेर, तेंदुआ, लक्कड़बग्घा, भालू, नीलगाय, सांभर |
20 | कुंभलगढ़ अभ्यारण्य | राजस्थान | चीता, नीलगाय, सांभर, भालू, नीलगाय |
21 | पेंच राष्ट्रीय उद्यान | मध्य प्रदेश | चीता, नीलगाय, सांभर, भालू, जंगली सूअर |
22 | तंसा अभ्यारण्य | महाराष्ट्र | तेंदुआ, सांभर, चौसिंगा, जंगली सूअर, चीतल, पक्षी |
23 | वोरिविली राष्ट्रीय उद्यान | महाराष्ट्र | लंगूर, हिरण, सांभर, तेंदुआ, जंगली सूअर |
24 | अबोहर अभ्यारण्य | पंजाब | जंगली सूअर, हिरण, नीलगाय, काला हंस, कबूतर |
25 | चिल्का अभ्यारण्य | ओडिशा | क्रेन, जलकौवा, पेलिवन,प्रवासी पक्षी |
26 | सिमलीपाल अभ्यारण्य | ओडिशा | हाथी, बाघ, चीता, तेंदुआ, सांभर, हिरण, मगरमच्छ, जलीय पक्षी |
27 | वेदांतगल अभ्यारण्य | तमिलनाडु | जलीय पक्षी |
28 | इंदिरा गांधी अभ्यारण्य | तमिलनाडु | हाथी, बाघ, चीतल, तेंदुआ, सांभर, रीछ, जंगली कुत्ता, लंगूर |
29 | मुदुमलाई अभ्यारण्य | तमिलनाडु | हाथी, चीता, तेंदुआ, सांभर, हिरण, जंगली कुत्ते |
30 | डाम्फा अभ्यारण्य | मिजोरम | कोबरा, चीता, बिल्ली, फीजेंट |
31 | पेरियार अभ्यारण्य | केरल | चीता, हाथी, तेंदुआ, सांभर, हिरण, भालू, नीलगाय, जंगली सूअर |
32 | पराम्बिकुलम अभ्यारण्य | केरल | चीता, हाथी, तेंदुआ, सांभर, हिरण, नीलगाय, जंगली सूअर |
33 | कान्हा राष्ट्रीय उद्यान | मध्य प्रदेश | बाघ, चीतल, तेंदुआ, सांभर, बारहसिंघा |
34 | पंचमढ़ी अभ्यारण्य | मध्य प्रदेश | बाघ, तेंदुआ, सांभर, नीलगाय, चीतल, हिरण, भालू, जंगली भैंसा. |
35 | डाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान | जम्मू-कश्मीर | तेंदुआ, काला भालू, लाल भालू, हिरण, |
36 | किश्तवार राष्ट्रीय उद्यान | जम्मू-कश्मीर | काला हिरण, जंगली याक, तिब्बती गधा |
37 | बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान | मध्य प्रदेश | बाघ, तेंदुआ, सांभर, भालू, चकोर |
38 | राजीव गांधी अभयारण्य (नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान) | कर्नाटक | चीता, हाथी, तेंदुआ, सांभर, भालू, चकोर, तीतर, |
39 | पखुई वन्य जीवन अभ्यारण्य | अरुणाचल प्रदेश | हाथी, अजगर, हिरण, सांभर |
40 | सुल्तानपुर झील अभ्यारण्य | हरियाणा | विभिन्न जल पक्षी |
41 | रोहिला राष्ट्रीय उद्यान | हिमाचल प्रदेश | कस्तूरी हिरण, भूरा भालू, पहाड़ी मुर्गा, पहाड़ी तेंदुआ |
42 | सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान | पश्चिम बंगाल | बाघ, चीता, हिरण, मगरमच्छ |
43 | भगवान् महावीर उद्यान | गोवा | हिरण, चूहा, साही, सांभर |
44 | नोंगरवाइलेम अभ्यारण्य | मेघालय | हाथी, चीता, बाघ, हिरण, सांभर, भालू |
45 | कीबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान | मणिपुर | हिरण, जंगली बकरी, विभिन्न जल पक्षी |
46 | राजाजी राष्ट्रीय उद्यान | उत्तराखंड | हाथी, हिरन, चीते, सांभर और मोर |
47 | ओरंग टाइगर रिज़र्व | असम | बाघ |
48 | दिबांग वन्यजीव अभयारण्य | अरुणाचल प्रदेश | बाघ |
- पेरियार अभ्यारण्य जंगली हाथियों के लिए प्रसिद्ध हैं ।
- एक सींग वाला गेंडा असम व पश्चिम बंगाल पाया जाता है ।
- भारतीय गेंडे काजीरंगा अभ्यारण्य में सबसे ज्यादा पाये जाते हैं ।
- विश्व वन्य जीव कोष का प्रतीक पांडा है ।
- शेर परियोजना 1972 ई. शुरू की गई ।
- बाघ परियोजना 1973 ई. शुरू की गई ।
- घड़ियाल परियोजना 1974 ई.शुरू की गई ।
- गैंडा परियोजना 1987 ई. शुरू की गई ।
- हिमचीता परियोजना 1987 ई. शुरू की गई ।
- मगर प्रजनन परियोजना 1975 ई. शुरू की गई ।
Nice
जो लोग यह मानते है सलमान को सेलेब्रिटी होने के कारण फ़ँसाया जा रहा है वो जरूर पढ़े…. यह पोस्ट
कांकाणी काला हिरण हत्या काण्ड
मिडिया में प्रसारित हो रही भ्रांतियों के सन्दर्भ में विशेष
यह मामला बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री के कुछ लोगों से जुड़ा हुआ है जिसमें फिल्म अ भिनेता सलमान खान मुख्य रूप से है इस कारण यह मामला मीडिया में जोर-शोर से प्रसारित होता रहा है जिसके कारण विश्व भर में यह खबर फैलती रही है तथा इस पर की जाने वाली टिप्पणियों में अनेक भ्रांतियां प्रसारित होती रही है यहां पर कुछेक का जिक्र कर रहा हूं
💐क्या सलमान खान को सेलिब्रिटी के कारण बिश्नोई समाज द्वारा निशाना बनाया जा रहा है
बिश्नोई समाज पेड़ों और वन्यजीवों के सरंक्षण के लिए संवैधानिक दायरे में काम करने पर विश्वास रखता है अर्थात सामाजिक तौर पर यह सोच है कि पेड़ों को बचाया जाए पेड़ लगाए जाए वन्यजीवों के शिकार होने से बचाया जाए तथा यथासंभव कठिन परिस्थितियों में उनके लिए खान-पान की व्यवस्था की जाए और इसके लिए सेवा और त्याग की भावना प्रमुख रखा जाए और यह कार्य आज से नहीं सदियों से हो रहा है कई हुक्मरानों और उनके शासन के विभिन्न ओहदेदारों और कारिंदों का भी सामना करते रहे हैं बिश्नोई और सदियों से इसके लिए बलिदान देते आए हैं पेड़ों को कटने से और वन्यजीवों को शिकार से बचाते रहे है हजारों ऐसे उदाहरण हैं जिन को लिखना प्रारंभ कर दिया जाए तो अनेक पुस्तकों का स्वरूप बन जाएगा! 550 साल के इतिहास काल में अनेक रक्तरंजित पन्ने हैं जिनको पढ़ा जाए तो भावुक व्यक्ति के लिए आंसुओं को थामना असंभव सा हो जाए! बिश्नोईयों के अधिकतर गांवों में ऐसी अनेक घटनाओं की कहानियां जीवंत है! यह ठोस बात है कि अनेकों लोगों को जीव हत्या से विमुख करने वाला बिश्नोई समाज अद्वितीय है
बीकानेर के राजा गंगा सिंह जी अपने जमाने के ऐसे सेलिब्रिटी थे कि इन फिल्मी सितारों का रहन सहन इनकी हैसियत इनका रुतबा इनकी संपत्ति और इनका प्रभाव उनके आगे कुछ भी नहीं है बिश्नोईयों ने उनका शिकार खेलने का विरोध किया उनसे जुड़ी जानकारी मैं आपके साथ साझा कर रहा हूं मेरे दादाजी का बीकानेर के महाराजा गंगासिंह जी के दरबार में आना जाना था तो मेरे पिताजी बताया करते थे कि महाराजा गंगा सिंह जी आखेट खेलने का शौक था वे बिश्नोई बाहुल क्षेत्र के विपरीत अपने राज्य की सीमा पर वर्तमान श्रीगंगानगर के इलाके में जाया करते थे उनके साथ सैन्य दल बल सब कुछ होता था और महाराजा गंगा सिंह का विरोध करना और विरोध करके उनको शिकार से रोकना बहुत ही कठिन था जहां बिश्नोई वन्यजीवों को संकट के समय पालते थे और जो बिश्नोईयों के क्षेत्र में निर्भीक होकर भ्रमण करते थे परन्तु आखेट के समय वे वन्य जीव महाराजा गंगा सिंह जी के आखेट का शिकार हो जाते थे बिश्नोई इस बात से परेशान थे गंगा सिंह जी को शिकार से रोक पाना असंभव लग रहा था परंतु बीकानेर राज्य के बिश्नोईयों ने शिकार को रोकने का रास्ता निकाला और पंजाब क्षेत्र के बिश्नोई जहां 2 रियासतों के प्रमुख बिश्नोई थे से इस हेतु मदद मांगी और सीतो गुन्नो के बिश्नोईयों ने यह बीड़ा उठाया जब महाराजा गंगा सिंह जी बीकानेर से आखेट के लिए निकलते तो बीकानेर राज्य के बिश्नोई का संदेश वाहक सीतो गुन्नो में इसकी सूचना पहुंचा देता और सीतो गुन्नो के लोग बीकानेर राज्य की सीमा में प्रवेश कर सभी वन्यजीवों को पंजाब क्षेत्र की ओर खदेड़ देते और इस प्रकार से महाराजा गंगा सिंह जी को निराशा हाथ लगती जब इसकी जानकारी महाराजा गंगा सिंह जी को हुई तो पहले वे मन मन में सीतो गुन्नो के लोगों से दुश्मनी रखने लगे परंतु सारी वास्तविकता सामने आने के बाद उन्होंने यहां पर आखेट करने का विचार त्याग दिया इस घटना में कई मोड़ है जो सारे यहां संक्षिप्त में प्रस्तुत करना संभव नहीं है परंतु यह एक नजीर है ऐसी सैकड़ों मिसाले हैं भारत भर में बिश्नाईयों की शिकार को रोकने की यह 550 साल का इतिहास है इसलिए जिनके भी मस्तिष्क में यह है कि सलमान को सेलिब्रिटी समझ के बिश्नोई इनके खिलाफ खड़े हैं तो यह बात रत्ती भर भी सत्य नहीं है 550 वर्षों में बड़ी बड़ी तोपों के सामने बिश्नोईयों ने संघर्ष किया है और सत्य बात तो यह है कि 1998 में सलमान खान को जानने वाले बिश्नोईयों में 2% लोग भी नहीं थे और अभिनेता की परिभाषा से समझने वाले लोग आज भी 10% से ज्यादा बिश्नोईयों में नहीं है और इसके से जुड़े हुए लोगों में से फिल्मी सितारों की और आकर्षित होने वाले लोगों की संख्या ना के बराबर है
इसलिए जो चंद लोग मीडिया में बैठे हैं और जो फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं वे शत-प्रतिशत सलमान को जानते हैं और उनके लिए सलमान खान बहुत बड़ी सेलिब्रिटी होगी परंतु बिश्नोई समाज को तो सलमान खान में एक अपराधी ही नजर आता है! उसकी सेलिब्रिटी वाली इमेज नहीं है
अत: सलमान खान के विरूद्ध बिश्नोई समाज उसके शिकार करने के अपराध के कारण खड़ा है उसके सिलिब्रिटी होने से समाज को कोई मतलब नहीं है!
इस तरह की सोच केवल उन लोगों की कल्पना है जो बिश्नोई समाज के वन्य जीवों से प्रेम और उनके संरक्षण के तरीकों के बारे में नहीं जानता है! और बिश्नोईयों के पर्यावरण से ५५० वर्ष के इतिहास को नहीं जानता है
लेखक
महावीर बिश्नोई
Thanks Dear